छत्तीसगढ़
भारत में नक्सलवाद लंबे समय से आंतरिक सुरक्षा के लिए सबसे बड़ी चुनौतियों में से एक रहा है। इस आंदोलन से जुड़े कई कुख्यात कमांडरों में हिड़मा (जिसे मदवी हिड़मा या हिदमा भी कहा जाता है) का नाम सबसे ज़्यादा चर्चा में रहता है। हिड़मा दंडकारण्य क्षेत्र में सक्रिय CPI (माओवादी) की पीपुल्स लिबरेशन गुरिल्ला आर्मी (PLGA) की बटालियन–1 का प्रमुख कमांडर माना जाता है और कई बड़े नक्सली हमलों का मास्टरमाइंड रहा है।
कौन है हिड़मा?
हिड़मा का मूल निवास छत्तीसगढ़ के सुकमा-बीजापुर क्षेत्र के जंगलों में माना जाता है।
उम्र लगभग 35–40 वर्ष के आसपास बताई जाती है।
वह PLGA की सबसे खतरनाक बटालियन का नेतृत्व करता है।
छत्तीसगढ़, तेलंगाना, आंध्रप्रदेश और महाराष्ट्र की सीमाओं पर उसका मजबूत नेटवर्क है।
स्थानीय आदिवासी इलाकों में उसकी पकड़ मजबूत बताई जाती है, जिसके कारण सुरक्षा बलों के लिए उसका लोकेशन ट्रेस करना कठिन होता है।
हिड़मा से जुड़े प्रमुख नक्सली हमले
हिड़मा कई चर्चित और भीषण हमलों का आरोपी माना जाता है, जिनमें से कुछ प्रमुख घटनाएँ हैं:
1. 2010 का ताड़मेटला हमला (छत्तीसगढ़)
इस हमले में CRPF के 76 जवान शहीद हुए।
यह नक्सली इतिहास के सबसे बड़े हमलों में से एक माना जाता है।
इसे प्लान करने में हिड़मा की अहम भूमिका बताई गई।
2. 2013 का झीरम घाटी हमला
इस हमले में छत्तीसगढ़ के वरिष्ठ कांग्रेस नेता विद्यासागर राव, महेंद्र कर्मा सहित 27 लोगों की मौत हुई।
यह राजनीतिक रूप से सबसे संवेदनशील नक्सली हमला माना जाता है।
3. 2017 का बुरकापाल हमला
CRPF के 25 जवान वीरगति को प्राप्त हुए।
बताया जाता है कि हिड़मा ने स्थानीय जंगलों और पहाड़ियों का फायदा उठाकर घात लगाकर यह हमला करवाया।
4. 2021 का बीजापुर-सुकमा एंबुश
DRG, CoBRA और CRPF के संयुक्त दस्ते पर हुए हमले में 22 जवान शहीद हुए थे।
इस हमले में भी हिड़मा का सीधा हाथ माना गया।
हिड़मा को पकड़ना इतना मुश्किल क्यों?
वह घने जंगलों और गहरी पहाड़ियों वाले इलाकों में रहता है।
स्थानीय भाषा और भूगोल का बेहतरीन ज्ञान है।
आदिवासियों में प्रभाव और भरोसा होने के कारण सूचना लीक होने की संभावना कम रहती है।
उसके साथ चलने वाली सुरक्षा परत और घात लगाने की क्षमता उसे और खतरनाक बनाती है।
सरकार और सुरक्षा बलों की कार्रवाई
सरकार ने हिड़मा पर भारी इनामी राशि घोषित की है।
DRG, CoBRA, CRPF और STF जैसी टुकड़ियाँ लगातार उसके आतंक को समाप्त करने के लिए अभियान चला रही थी।
हाल के वर्षों में कई बड़े ऑपरेशनों में हिड़मा के करीब तक पहुँचने की खबरें आती रही हैं।
क्षेत्र में सड़क, शिक्षा और स्वास्थ्य जैसी विकास योजनाओं को तेज़ी से लागू करके नक्सलवाद की जड़ को कमजोर करने की कोशिश की जा रही है।
हिड़मा नक्सलवाद की हिंसक विचारधारा का प्रतीक बन चुका है। उसके द्वारा किए गए हमलों ने न केवल सुरक्षा बलों को बड़ी क्षति पहुँचाई है, बल्कि आम नागरिकों के जीवन को भी प्रभावित किया है। सरकार और सुरक्षा एजेंसियाँ लगातार उसके नेटवर्क को कमजोर कर रही हैं और उम्मीद है कि आने वाले समय में इस चुनौती पर पूरी तरह काबू पा लिया जाएगा।

