खनिज नियमों को ठेंगा दिखा कर हो रहा है खदानों का संचालन….क्रेशर के धूल से परेशान ग्रामीण और राहगीर

खनिज नियमों को ठेंगा दिखा कर हो रहा है खदानों का संचालन….क्रेशर के धूल से परेशान ग्रामीण और राहगीर

पाटन। सेलूद के आसपास सेलूद, मुड़पार, पतोरा, चुनकट्टा, गोंडपेंड्री,अचानकपुर, छाटा, धौराभांठा, परसाही,गुढियारी, ढौर सहित कई गांवों के क्रेशर खदानों में खनिज नियमों को ताक में रखकर खनन किया जा रहा है। क्रेशर से निकलने धूल के गुबार से गावों में सफेद परत जम जाती है, जिसकी शिकायत संबंधित विभाग को कई बार किए जाने के बाद भी ग्रामीणों की कोई सुनने वाला नहीं है। दरअसल, क्रेशर संचालन के दौरान पानी का छिड़काव नहीं करने से धूल के गुब्बार उड़ रहे हैं।

सख्त कार्रवाई की मांग….

ग्रामीणों को कहना है कि जनसुनवाई करने वाले अधिकारी क्रेशर संचालकों की कारगुजारियों को देखने दुबारा झांकने तक नहीं आते। दिनभर क्या हालत रहती है यह तो हम क्षेत्रवासी जानते हैं। फिलहाल, ग्रामीणों ने प्रशासन से खनिज नियमों का पालन नहीं करने वाले क्रेशर संचालकों पर सख्त कार्रवाई करने की मांग की है। क्रेशर से उड़ने वाले धूल से स्थानीय लोगों के स्वास्थ्य पर विपरीत प्रभाव पड़ रहा है। इससे ग्रामीणों को सांस लेने में तकलीफ, आंखों में जलन और अन्य स्वास्थ्य संबंधी परेशानियां हो रही है। वहीं धूल की मोटी परत फसलों पर जम जाती है, जिससे फसल खराब होती है और इससे किसानों को नुकसान होता है। वहीं इससे आसपास की जमीन भी बंजर भी हो जाती है। साथ ही पर्यावरण को भी भारी नुकसान हो रहा है।विटामिन और फ़ूड सप्लीमेंट खरीदें

दुर्घटना का भी बना रहता है खतरा

क्रेशर खदानों से उड़ने वाले धुल से वायु भी बुरी तरह से प्रदूषित हो रही है। राहगीरों को इसके आसपास से गुजरते समय घुटन महसूस होती है। वहीं धूल-धक्कड़ के कारण सामने का रास्ता स्पष्ट दिखाई नहीं देने से दुर्घटना की भी अधिक संभावना बनी रहती है। यदि क्रेशर संचालकों द्वारा पानी का छिड़काव किया जाता तो ग्रामीणों को बहुत राहत मिलती। क्रेशर संचालकों को नियम के अनुसार सुबह शाम पानी का छिड़काव करना चाहिए ताकि धूल ना उड़ सके लेकिन अधिकांश क्रेशर संचालक इन नियमों का पालन नहीं करते है।