राजस्व विभाग

प्रशासन तुंहर अभियान के अंतर्गत 119 गांवों में राजस्व शिविरों का हुआ आयोजन…. समस्याओं का किया निराकरण

पाटन टाइम्स डेस्क।

इंद्रजीत कुर्रे

दुर्ग। लोगों को अपनी समस्या के समाधान के लिए तहसील कार्यालयों तक आने की जरूरत कम से कम हो, मुख्यमंत्री श्री भूपेश  बघेल की मंशानुरूप दुर्ग जिले में इसके लिए प्रशासन तुंहर द्वार अभियान अंतर्गत गांव-गांव राजस्व शिविर लगाये जा रहे हैं। शिविरों में ग्रामीणों की राजस्व संबंधी समस्याओं के अलावा दूसरे विभागों से संबंधित समस्याएं भी ली जा रही हैं जिनका मौके पर ही निराकरण किया जा रहा है। कलेक्टर श्री पुष्पेंद्र कुमार मीणा हर सप्ताह ली जाने वाली बैठकों में राजस्व शिविरों में आये प्रकरणों की समीक्षा कर रहे हैं।

इस सप्ताह भी उन्होंने राजस्व शिविरों की समीक्षा की। धमधा एसडीएम श्री बृजेश क्षत्रिय ने बताया कि उनके यहां 119 गांवों में राजस्व शिविरों का आयोजन हुआ। शिविर में राजस्व संबंधी प्रकरण रखे ही गये, दूसरे विभागों के आवेदन भी लिये गये। धमधा डिविजन के तहसीलों में इन शिविरों के माध्यम से 584 आवेदन आये, इनमें 326 आवेदनों का मौके पर ही निराकरण कर दिया गया। 228 प्रकरणों की प्रकृति न्यायालयीन थी अतएव इन्हें राजस्व न्यायालय में दर्ज कर लिया गया है। श्री क्षत्रिय ने बताया कि इसके अलावा अन्य विभागों के आवेदनों को मिलाकर इन शिविरों में कुल 886 आवेदन आये, इनमें 569 आवेदनों को मौके पर ही निराकृत कर दिया गया और 317 आवेदनों को विभाग निराकृत कर रहे हैं।

पाटन डिविजन में 142 गांवों में ऐसे शिविरों का आयोजन किया गया। इनमें 1450 आवेदन आये और 1450 आवेदनों का अब तक निराकरण किया जा चुका है। दुर्ग डिविजन में भी प्रकरणों का निराकरण जारी है। उल्लेखनीय है कि राजस्व शिविरों में सबसे ज्यादा आवेदन आय प्रमाणपत्र को एवं जाति प्रमाणपत्र को लेकर आ रहे हैं। इसके अलावा अविवादित नामांतरण के प्रकरण और ऋण पुस्तिका जमा करने संबंधी आवेदन भी आ रहे हैं।

राजस्व शिविरों में जो अन्य विभागों के आवेदन आ रहे हैं उनमें राशन कार्ड, पेंशन और आयुष्मान कार्ड के लिए आवेदन आ रहे हैं। प्रशासन तुंहर द्वार अभियान के चलते अमले के मौके पर ही पहुंचने से ग्रामीणों की दिक्कत अविलंब दूर हो रही है। उल्लेखनीय है कि कलेक्टर ने ग्रामीण सचिवालय में भी निर्धारित दिनों में स्थानीय अमले को बैठने एवं यहां जनसमस्याओं से संबंधित आवेदन लेने कहा है। ग्रामीण सचिवालयों में भी बड़ी संख्या में आवेदन आ रहे हैं। इन सभी आवेदनों के निराकरण के लिए अविलंब कार्रवाई की जा रही है और निराकृत आवेदनों की प्रकृति की गुणवत्ता की समीक्षा निरंतर जारी है।

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